RBI Cuts Repo Rate: खुशखबरी! अब सस्ता हो जाएगा बैंक लोन; 5 साल बाद RBI का बड़ा फैसला, Repo Rate में कटौती

खुशखबरी! अब सस्ता हो जाएगा बैंक लोन; 5 साल बाद RBI का बड़ा फैसला, Repo Rate में इतनी कटौती, EMI में मिलेगी राहत

RBI Cuts Repo Rate

RBI Big Anounced To Cuts Repo Rate In MPC Meeting

RBI Cuts Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश के करोड़ों लोगों को बड़ी राहत दी है। एक बड़ा फैसला लेते हुए आरबीआई ने रेपो रेट (ब्याज दर) में 25 बेसिस पॉइंट (0.25 प्रतिशत) की कटौती कर दी है। शुक्रवार सुबह आरबीआई के नए गवर्नर बने संजय मल्होत्रा ने इस बड़े फैसले की जानकारी दी। एक बहुत लंबे समय बाद में रेपो रेट में कटौती की गई है।

गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि, नए साल की पहली मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में सर्वसम्मति से रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती करके इसे 6.5% से 6.25% करने का फैसला लिया गया है। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में 5 फरवरी को शुरू हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग 7 फरवरी तक चली। 3 दिनों तक चली इस अहम मीटिंग में रेपो रेट को घटाने का फैसला किया गया।

5 साल बाद RBI का ये बड़ा फैसला

RBI का रेपो रेट में कटौती ये फैसला करोड़ों लोगों के लिए खुशखबरी वाला है। दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगभग 5 साल बाद रेपो रेट (ब्याज दर) में किसी तरह का कटौती का ये कदम उठाया है। इससे पहले आखिर बार आईबीआई ने मई 2020 में रेपो रेट में कटौती की थी। आरबीआई ने उस समय कोरोना के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए रेपो रेट में 0.40 प्रतिशत (40 बेसिस पॉइंट्स) की कटौती की थी।

जबकि रिजर्व बैंक ने जून 2023 के बाद से ही लगातार रेपो रेट में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया। आखिरी बार जून 2023 में रेपो रेट में बढ़ोतरी करते हुए इसे 6.5 प्रतिशत कर दिया गया था। इसके बाद आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। न ही घटाया और न ही बढ़ाया। कई बैठकों में लगातार रेपो रेट को उसी पैमाने पर स्थिर रखा गया। हालांकि, इस बीच लोग हर बार रेपो रेट के घटना की उम्मीद लगाते रहे।

फिलहाल, अब जब रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत (25 बेसिस पॉइंट्) की कटौती कर दी गई है तो इससे बैंक होम लोन और कार लोन समेत तमाम लोन पर ब्याज दर सस्ती हो जाएगी। यानि बैंक से सस्ता लोन मिलेगा। इसके साथ ही अगर आपने बैंक से लोन ले रखा है और उस लोन की EMI महीने में भर रहे हैं तो उस EMI पर भी आपको बड़ी राहत मिलेगी। महीने में जाने वाली आपकी EMI सस्ती हो जाएगी।

बता दें कि, रेपो रेट में बदलाव के साथ रिवर्स रेपो रेट को उसके पुराने स्तर 3.35 फीसदी पर ही बरकरार रखा गया है। मालूम रहे कि, आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक हर 2 महीने में एक बार होती है। बैठक में लोन ब्याज दर, महंगाई समेत अन्य वित्तीय मामलों की समीक्षा की जाती है और इस कड़ी में कुछ अहम फैसले भी लिए जाते हैं। रेपो रेट में बढ़ोतरी का उन ग्राहकों को फायदा होता है जिन्होंने एफडी (FD) करा रखी है। उनकी एफडी पर ब्याज बढ़ जाता है।

RBI गवर्नर बनने के बाद संजय मल्होत्रा की पहली मीटिंग

आपको ज्ञात रहे कि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में गवर्नर के तौर पर शक्तिकांत दास का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। शक्तिकांत दास ने 12 दिसंबर, 2018 को 3 साल के लिए आरबीआई गवर्नर का पदभार संभाला था। सरकार ने 2021 में उनके कार्यकाल को 3 साल के लिए और बढ़ा दिया था। लगातार 6 साल तक आईरबीआई का गवर्नर रहने के बाद उन्होंने 10 दिसंबर, 2024 को गवर्नर पद छोड़ दिया।

वहीं शक्तिकांत दास के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के नए गवर्नर के रूप में संजय मल्होत्रा की नियुक्ती की गई। संजय मल्होत्रा आरबीआई के 26वें गवर्नर हैं। उन्होंने 11 दिसंबर, 2024 को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में 3 साल के लिए पद संभाला था। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मेंसंजय मल्होत्रा की ये पहली एमपीसी मीटिंग थी। संजय मल्होत्रा राजस्थान कैडर 1990 बैच के IAS अफसर हैं। मल्होत्रा अभी केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व सचिव की ज़िम्मेदारी संभाल रहे थे।

क्या होता है रेपो रेट?

आरबीआई जब बैंकों को कर्ज देता है तो रेपो रेट (RBI Repo Rate) के हिसाब से उस कर्ज पर ब्याज लेता है। वहीं जब बैंकों को आरबीआई से कर्ज महंगा पड़ता है तो वह आगे ग्राहकों को भी कर्ज महंगा देती हैं। इसलिए रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाला लोन सस्ता हो जाता है और अगर बढ़ोत्तरी हो जाती है तो आपका लोन महंगा हो जाता है।

जैसे अगर अभी आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी जाती तो आपकी लोन EMI पर महंगाई का बोझ बढ़ जाता। यानि आपको महीने में फिर ज्यादा ईएमआई भरनी होती। जिससे आप बच गए।

रिवर्स रेपो रेट क्या होता है?

जब बैंकें अपना पैसा आरबीआई में जमा करती हैं तो आरबीआई बैंकों को रिवर्स रेपो रेट (RBI Reverse Repo Rate) के हिसाब से उस पैसे पर ब्याज देता है। बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें।